नए संसद भवन में पीएम मोदी का राज्यसभा मे संबोधन
राज्यसभा हमेशा से ही भारत निर्माण में महती भूमिका निभाता आया है : नरेंद्र मोदी
लोकसभा की तरह आपने मुझे राज्यसभा में भी अपने विचार रखने का मौका दिया। उसके लिए मैं स्पीकर महोदय का बहुत बहुत आभारी हूँ। संविधान के अनुसार राज्य सभा की कल्पना एक उच्च सदन के रूप में की गयी है। जिसके जरिये हम देश के गंभीर और बौद्धिक विचार विमर्श करके देश की समस्याओं का कोई हल निकल सकें।
इस सदन से अनेक महापुरुषों ने इस भारत देश को अपनी सेवाएं दी और सदन को सुशोभित किया है। फिर वह चाहे लाल बहादुर शास्त्री जी हों, गोविंद बल्लभ पंत, लालकृष्ण आडवाणी जी, प्रणब मुखर्जी हो या फिर अरुण जेटली हो और न जाने कितनी ही ऐसे नाम है। जो सदन के माध्यम से देश के लिए समर्पित हुए हैं।
हमारे राष्ट्रपति डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन जी ने भी इस राज्यसभा के महत्व पर अपने विचार साझा किए थे। इस नए भवन के साथ नई शिक्षाएं हैं। हम अपने जीवन में भी देखते हैं। जब किसी नई चीज का हमसे जुड़ाव होता है तो मन का कहीं ना कहीं सकारात्मक रवैया होता है। ठीक उसी तरह अमृतकाल में इस भवन का निर्माण होना देश के लिए एक सकारात्मक संदेश है। 140 करोड़ भारतीयों की आशाएं हैं और यही उनमें नई ऊर्जा का संचार करेगा।
नयी पीढ़ी है ज्यादा ऊर्जावान
हमें अपने लक्ष्यों को हर हाल में हासिल करना है। क्योंकि अब नई पीढ़ी की बातें पुरानी पीढ़ी से बहुत अलग है। हमारी पीढ़ी की सोच यह थी कि जो भी है, जैसे भी है हम उसमें गुजारा कर लेंगे। लेकिन आज की पीढ़ी अपनी आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए अपने कार्य को व्यापक तौर पर करने का जज्बा रखती है। ठीक उसी तरह हमें देश को आगे बढ़ाने के लिए अपनी क्षमताओं का योगदान भी बढ़ाना होगा। इन 9 वर्षों में हमने देश के सेवाएं करते हुए कुछ ऐसे बड़े फैसले लिए जो दशकों से लटके हुए थे। उन फैसलों में कुछ ऐसे भी शामिल हैं जिनको मतलब क्या बोलते हैं जिनका संभव होना ही असंभव सा था।
इस सदाम में कौन आएगा, कौन जाएगा, कौन कब तक रहेगा यह क्रम तो चलता ही रहेगा। लेकिन इन सब बातों से ऊपर उठकर हमें देश की जनता के लिए अपने प्रयास सर्वोपरि रखना चाहिए। देश को चलाने के लिए राज्यसभा का एक अलग ही महत्व है। कोविड में हमने राज्यसभा के साथ मिलकर अत्यंत गंभीर मुद्दों को भी हल किया है। राज्यसभा राज्यों को भरपूर सहयोग देती है। कोविड के दौरान दुनिया ने परेशानी झेली और हमने भी अपने देश को इस संकट से जैसे भी हुआ निकालने का प्रयास किया। इसमें राज्यसभा का एक बहुत बड़ा सहयोग है। दुनिया को फेडरेलिज्म की ताकत भारत की राज्यसभा से सीखनी चाहिए जी-20 की समेत राज्यों में जिस तरीके से हुई। देश के सात शहरों में 220 से ज्यादा समिट का होना और हर प्रदेश का इसमें बढ़-चढ़कर हिस्सा लेना मेहमान नवाजी को इतने बड़े स्तर पर दिखाना। यह अपने तरीके से दुनिया को दिशा दिखाने का सामर्थ्य भी है। और यही तो भारत के फेडरेलिज्म की ताकत है।
नए संसद भवन का निर्माण किया गया तो सभी राज्यों से यह आग्रह किया गया कि आप अपने राज्य की कोई विशेष वस्तु या कोई विशेष याद यहाँ भेजिए तो भारत के सारे राज्यों से यहां कुछ कलाकृतियां, कुछ चित्र या कुछ तस्वीरों को इस पार्लियामेंट की दीवारों के साथ साझा किया गया। जो हमारे सांसद भवन की शोभा में चार चांद लगा रहे हैं। पहले किसी तकनीक को भारत तक आने में 50 साल लग जाते थे। लेकिन आज यह तकनीक कुछ ही हफ्तों में हमारे बीच आकर और हमारा अनिवार्य अंग बन जाती है। इसी तरीके से हमें दुनिया की आधुनिकता के साथ कदम से कदम मिलाकर चलना होगा।
पुराने भवन में हमने आजादी का अमृत महोत्सव मनाया और 75 साल की यात्रा को देखा। लेकिन मुझे पूरा विश्वास है कि जब हमारी आजादी की स्वर्ण जयंती होगी तो हम एक विकसित भारत के होने का जश्न इस नए संसद भवन में मनाएंगे। पिछले 9 सालों में हम पांचवी अर्थव्यवस्था तक पहुंचे थे। लेकिन अब हमारी कोशिश दुनिया में टॉप 3 इकोनॉमी में आने की है।
नारी सशक्तिकरण ही हमेशा से रहा है अहम्
नारी सशक्तिकरण पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, यह नया संसद भवन एक महत्वपूर्ण फैसले का साक्षी भी रहा है। इस भवन से नारी सशक्तिकरण के लिए जो कदम उठाए गए अब उन पर कानून बनने जा रहा है। बहनें जो हमारे राष्ट्र निर्माण में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। उनके भागीदारी को हम सुनिश्चित कर रहे हैं। जिससे हमारी बहनें अपने निर्णय को लेने में सक्षम हो सके। हमारी बेटियों के लिए स्कूल के दरवाजे पूरी तरह खुले हुए हैं। हम उन्हें उतनी शिक्षा देंगे जिससे वह दुनिया को अपनी ताकत दिखा सके। फाइनेंशियल फ्रीडम से आज महिलाओं के अंदर समाज में एक सक्रिय योगदान नजर आ रहा है। यही हमारी हमेशा से कोशिश रही है। बहनों के स्वास्थ्य को भी ध्यान में रखते हुए हमने उज्ज्वला योजना को चालू किया जिससे आपको सिलेंडर के लिए पहले किसी नेता के घर के चक्कर न काटने पड़े।
हालांकि इस बिल के लिए प्रयास पिछले 27 सालों से किया जा रहा था। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेई ने 1996 में इस बिल की शुरुआत की थी। लेकिन कभी भी वह आंकड़े को पूरा नहीं कर पाए। जिसके कारण यह बिल पास नहीं हो चुका हो सका। लेकिन अब हमने इस कानून को बनाकर देश के विकास यात्रा में नारी शक्ति की भागीदारी को सुनिश्चित कर दिया है। नारी शक्ति वंदन इस बिल को लोकसभा में रखा गया है। इसके बाद जल्दी ही यह राज्यसभा में भी आएगा। और मैं आप सबसे सविनय निवेदन करता हूं ,कि हम इस बिल को सर्वसम्मति से आगे बढ़ायें। जिससे हमारे देश की नारी शक्ति की शक्ति कई गुना बढ़ जाएगी। आप सब के सहयोग के साथ मैं अपनी वाणी को यहीं विराम देता हूं।